"आज फूलों पर इस कदर प्यार आया
मन अपना क़रीब से उन्हें निहार आया"
फूल हमारे जीवन के काफ़ी क़रीब होते हैं....रंग-बिरंगे फूल भला किसे प्यारे नहीं होते हैं ......पर फूलों को देखने का एक दूसरा नजरिया भी है.....मैं जब जब फूलों को देखती हूँ.....मुझे उनमें इस दुनिया की बेटियाँ नज़र आती हैं.....
.दरअसल फूलों और बेटियो को ज़िन्दगी दो बार मिलती है. ....फूलों को नर्सरी वाले बड़ी लगन से उगाते हैं. ...फिर खाद - पानी देकर बड़ा करते हैं. ....और हम सब वहां जाँच-परख कर अपने घर ले आते हैं. ...अपने यहाँ उसे अपने परिवेश में ढाल कर निखारने की कोशिश करते हैं......बेटियाँ भी कहीं जन्म लेती है.....किन्हीं की आँखों का तारा होती हैं. ....यथासामर्थ्य परवरिश पाती हैं. .....पर संवारना उन्हें कोई दूसरा घर होता है. . इसलिए बेटियों की इस मुश्किल ज़िन्दगी को सभी समझें......और उचित सम्मान दें तो तभी वह निखरेगी इन फूलों की तरह......हाँ, थोड़ा वक़्त लगता है......फूलों को खिलने में. ...बेटियों को नई आबोहवा में ढलने में......धैर्य और इंतज़ार की ज़रूरत है हर ज़गह......
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें