ढाका स्थित शहीद मीनार तस्वीरें गूगल से साभार |
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हमार मातृभाषा भोजपुरी रहल बा .....एहि से आज हम भोजपुरी में लिखे के कोशिश करतानी । मातृभाषा आ माई के महत्व हमार ज़िंदगी में सबसे जादे होखेला..... हम कहीं चल जाईं ......माई आ माई द्वारा सिखावल भाषा कभी न भूलाइल जाला...... हमार सोचे समझे के शक्ति हमार मातृभाषे में निहित हो जाला..... हम बचपने से घर में भोजपुरी बोलेनी ....लेकिन लिखेके कभी मौका ना मिलल.....हम दोसर भाषा वाला लोगन से छमा मांगतानी ....लेकिन भोजपुरी भी देवनागरी लिपि में लिखल जाला ....एहि से आस बा कि जे हिंदीभाषी होई ओकरा समझे बूझे में दिक्कत ना होई.
आज 21 फरवरी हs .....विश्व मातृभाषा दिवस..... हमनी के कृतज्ञ होके के चाहीं 1952 के पूर्वी पाकिस्तान आ ए घड़ी के बांग्लादेश के उ शहीद आ क्रांतिकारी नौजवानन के .....जिनकर भाषाइ अस्मिता के बदौलत आज इ दिवस संसार भर में मनावल जाता..... बांग्ला भाषा खाति शुरू भइल इ आंदोलन अब 1999 से विश्व भर में सांस्कृतिक विविधता आउर बहुभाषिता खाति मनावल जाला....अभियो भारत के बंगाली लोगन के भाषायी चेतना प्रशंसा करे लायक बा....
अब कुछ बात गौर करे लायक बा.....आज मुंबइया सिनेमा हो.... चाहे टीवी के सीरियलवा.... सब में पंजाबी आ दोसर भाषा के खूब बोलबाला बा.... सब लोग इस पंजाबी मिश्रित गानों के खूब पसंद करेला.... लेकिन जब भोजपुरी के संवाद या गाना आवेला.... त या त मजाक के तौर पर चाहे फूहड़ बोली के तौर पर.... एकरा खातिर हम भोजपुरीभाषी भी जिम्मेदार बानीं.... सब केहू विरोध ना करेला..... मीडिया में काम करेवाला पत्रकारबंधुअन के भी दिल्ली में इ कह के हँसी उड़ावल जाला कि तहार बोली में बिहारी/ भोजपुरिया टोन बा.... इ ताना उंहा रहेवाला बिहारियन के आम जिंदगी में भी सुने के पड़ेला..... अइसन स्थिति में हीनता बोध के बजाय स्थिति के सामना करेके चाहिं.... गलत उच्चारण के ठीक करे में कवनो बुराई नइखे .....लेकिन जे जहाँ के रहेला ओकर बोली के असर त ओकरा पर पड़बे करेला ......टोन त सबकर बोली में आवेला..... चाहे उ बिहारी होखस पंजाबी होखस चाहे बंगाली चाहे गुजराती राजस्थानी मराठी... चाहे कवनो दछिन भारतीय भाषाभाषी
एगो आग्रह भोजपुरी गाना वीडियो आ सिनेमा बनावेवाला लोगन आ कलाकारन से भी..... कि साफ सुथरा आ सामाजिक राजनीतिक विषय पर काम करीं..... 'बिदेसिया' 'हे गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबे' 'धरती मइया'
'गंगा किनारे मोरा गांव ' जइसन कुछ गिनन चुनल सिनेमा ही याद पड़ेला अब ....कुछ बढ़िया काम होवे तो कवनो बोली के सम्मान बढ़ेला ....फूहड़ गीत आ वीडियो नारीविरोधी होखेला .... हम औरत सब के माथा झुक जाला ....अइसन गीत भोजपुरी के नाम पर धब्बा बा ....खाली इतिहास के ढिंढोरा पीटला से सम्मान ना मिली....सीख लेवेके होखे त बांग्ला सिनेमा से सीखीं।
कोई भी छेत्रीय भाषा या बोली राष्ट्रभाषा हिन्दी के विरोधी नइखे ....लेखक या कवि आपन आपन बोली से शब्द आ मुहावरा हिन्दी के रचना में डलिहन .....त हिन्दी के मिठास त बढ़बे करी..... जादे समृद्ध भी होई .... विविधता में एकता के अहसास एहि से आई..... एहि से हम सब के एक दोसरा के बोली के सम्मान करे के चाहीं..... तबे भारत के अखंडता सुरक्षित रही .
लेखन में त्रुटि होई त आप लोगिन माफ करीं नवसिखुआ समझ के ....
प्रणाम ।
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