तितलियाँ उन्मुक्त होती हैं ...शायद इसलिए तमाम बंदिशों के बीच रहनेवाली हम औरतों को भी ख़ूब लुभाती हैं .....तितलियों ...चिड़ियों में हम अपना वजूद तलाशते रहते हैं ....और यह तलाश कभी ख़त्म नहीं होती ....हमें जो अवसर या आज़ादी नहीं मिली ....उसे हम अपनी बेटियों - बहनों को प्रदान करें ...तो शायद तितलियाँ बस हमारे ख़्वाब की बात न रह जाए .....कई हुनर हम सब में है ....जब भी समय मिले ...उस समय का सदुपयोग करते हुए उसे निखारें ....बहुत सारी चीज़ें सिर्फ पैसे के लिए नहीं होती हैं ...अपने वजूद के अहसास के लिए होती हैं ....आत्मसंतुष्टि के लिए होती हैं ....पंख किसके भी हों .....हमें अपनी उड़ान प्यारी होनी चाहिए ....उम्र की परवाह किए बिना ....बंदिशें टूट रही हैं ....फूल खिल रहे हैं चाहरदीवारियों के भीतर भी ....निस्संदेह तितलियाँ अपना ठिकाना ढूंढने निकल पड़ी हैं ...संकरी गलियों और प्रतिकूल मौसम की परवाह किए बिना ....बस उन्हें हमारे हौसलों की ज़रूरत है ......
तितलियाँ उन्मुक्त होती हैं ...शायद इसलिए तमाम बंदिशों के बीच रहनेवाली हम औरतों को भी ख़ूब लुभाती हैं .....तितलियों ...चिड़ियों में हम अपना वजूद तलाशते रहते हैं ....और यह तलाश कभी ख़त्म नहीं होती ....हमें जो अवसर या आज़ादी नहीं मिली ....उसे हम अपनी बेटियों - बहनों को प्रदान करें ...तो शायद तितलियाँ बस हमारे ख़्वाब की बात न रह जाए .....कई हुनर हम सब में है ....जब भी समय मिले ...उस समय का सदुपयोग करते हुए उसे निखारें ....बहुत सारी चीज़ें सिर्फ पैसे के लिए नहीं होती हैं ...अपने वजूद के अहसास के लिए होती हैं ....आत्मसंतुष्टि के लिए होती हैं ....पंख किसके भी हों .....हमें अपनी उड़ान प्यारी होनी चाहिए ....उम्र की परवाह किए बिना ....बंदिशें टूट रही हैं ....फूल खिल रहे हैं चाहरदीवारियों के भीतर भी ....निस्संदेह तितलियाँ अपना ठिकाना ढूंढने निकल पड़ी हैं ...संकरी गलियों और प्रतिकूल मौसम की परवाह किए बिना ....बस उन्हें हमारे हौसलों की ज़रूरत है ......
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