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मिट्ठू-राग

मिट्ठू - राग ------------------ यह उन दिनों की बात है  जब नहीं था इंटरनेट  न ही स्मार्ट फोन  और न ही सोशल मीडिया का विस्तृत फ़लक  तब भी स्कूल जाती थीं लड़कियाँ  सुबह सवेरे काॅलेज के लिए निकल पड़ती थीं युवतियाँ   और घर की चिंता सर पर बांधे  दफ़्तर की राह चल देती थीं कामकाजी स्त्रियाँ  उन दिनों भी बस या ऑटो में घूमती थी कुछ गिद्ध निगाहें  टटोलती थीं वहशी उंगलियाँ गोश्त उम्र के फासले मिट जाते थे  नए दानवों के साथ वृद्ध राक्षसराज भी होते थे शिकारी  लेकिन साहसी लड़कियाँ जड़ देती थी प्रतिरोध के तमाचे  थोबड़ों पर उग आते थे नाज़ुक उंगलियों के अनदेखे निशान  काॅलेजों में भी ताक में बैठे होते थे नुकीले पंजे वाले भेड़िए  जो दिलवाते थे टाॅपर होने का तमगा  कुछ आसमानी लड़कियाँ शिकार हुईं  पर कई स्वाभिमानियों की इंकार हुई  सच है कि  दफ़्तरों के केबिन भी कम नहीं थे इस्पाती पिंजड़ों से  कुछ ऊँची उड़ान के लिए लाचार हुईं  कुछ ने  नहीं रखा अपनी आत्मा को गिरवी  तोड़ दिए पिंजड़े एक झटके में  धीरे- धीरे समय का इंतज़ार किया  उन दिनों भी तो वयस्क औरतें