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जून, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

प्यार से भी ज़रूरी कई काम हैं

एक था बुद्धू प्रसाद ।नाम ज़रूर बुद्धू था , पर मेहनत से पैसे कमाना जानता था ।रिक्शा चलाकर पैसे कमाता था और इससे अपने तीन बेटों का पालन- पोषण कर रहा था ।उसकी पत्नी को लगा कि बढ़ते हुए खर्च के मद्देनज़र वह भी काम करे तो बच्चों की पढ़ाई -लिखाई आसान हो जाएगी ।उसने बुद्धू से अपने मन की बात कह डाली ।पहले तो उसे अच्छा नहीं लगा ,परंतु अपनी पत्नी की बात को टाल भी न सका ।आखिर तीन बेटों की स्कूली पढ़ाई का सवाल था।फिर क्या पत्नी आसपास के बड़े घरों में चौका - बर्तन का काम कर पैसे जुटाने लगी । परिवार की गाड़ी अब  सही पटरी पर चलने लगी।         एक दिन पत्नी को घर आने में काफी रात हो गई ।पति ने पूछा तो उसने बताया कि मालिक की पत्नी बीमार है ,इसलिए उसकी सेवा में देर हो गई ।यही सिलसिला रोज होने लगा ।एक दिन सशंकित हो जब बुद्धू पत्नी के मालिक के घर पहुँचा तो सन्न रह गया जब उसने पत्नी को रंगे हाथ पकड़ा ।वहाँ कोई परिवार नहीं रहता था ।मालिक अविवाहित था ।उसकी पत्नी ने मालिक के साथ प्रेम होने की बात स्वीकारी।हारकर बुद्धू ने पंचायत बुलाई ।पंचायत ने उसकी पत्नी को अपने पति और बच्चों के साथ रहने को कहा ।परंतु

पर्यावरण संस्कार

विवाह बहुत ही पवित्र संस्कार है हमारे भारतीय समाज में...पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में बीते दिनों एक विवाह समारोह था।बारात आई ,द्वारपूजा हुई।अब सब जयमाल का इंतज़ार कर रहे थे ।पर यह क्या ,दुल्हन जयमाल स्टेज की तरफ न आकर कहीं और चली गई ।कुछ देर में ही जो पता चला वो नया था ।हाँ,दुल्हन रानी पौधारोपण कर रही थी और इसमें उसका साथ दे रहे थे दुल्हा सत्यप्रकाश ।आम का पौधा लगने के बाद लड़की के माता- पिता ने भी पौधारोपण किया ।उसके बाद ही जयमाल की विधि संपन्न हुई ।यानी पवित्र विवाह संस्कार में एक और पवित्र विधि का जुड़ना अनोखा था पर बहुत सराहनीय भी ।शादी ब्याह सृष्टि को निरंतर रखने के लिए होते हैं और पर्यावरण संरक्षण के बिना सृष्टि का अस्तित्व ही संकटपूर्ण हो जाएगा ।       इससे पहले भी वृक्षारोपण के संदेश देते कई आयोजन समय समय पर सुनने को मिलते रहे हैं ।संतान के जन्म और जन्मदिवस पर भी कई गाँवों में पौधों को लगाने की प्रथा रही है।ऐसे आयोजनों का खूब प्रचार-प्रसार हो ताकि लोग अपने पर्यावरण के प्रति सचेत रहें । जहाँ तक महिलाओं की बात है तो हमारे देश की महिलाएं पर्यावरण संरक्षण में पुरुषों