सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

हारी नहीं नीरजा

भारत की अशोक चक्र प्राप्त बिटिया नीरजा भनोट (7 सितंबर 1963 - 5 सितंबर 1986 ) के प्रति एक श्रद्धांजलि


हारी नहीं नीरजा
********************

वह लड़की 

हाँ, वो लड़ी

शर्म के ख़िलाफ़
डर के ख़िलाफ़
परंपरा के ख़िलाफ़
दहेज के ख़िलाफ़
अपने 'प्रताड़क परमेश्वर' के ख़िलाफ़
ज़माने की प्रतिकूल हवाओं के ख़िलाफ़
वह जीतती गई
एक -एक क़दम 
नापती हुई ज़मीन और आकाश की दूरी
अब नरपिशाचों की बारी थी
उसके भीतर सूझबूझ की शांत नदी बह रही थी
साहस भी अनंत आसमानी हो चला था
और वह उस विशाल विमान में
एक जुझारू जटायु बन
लड़ती रही रावणों से
पंख नुचकर जख़्म रिसते रहे
जीतना उसका तय था
पर मृत्यु उसे अपने प्यार की तरह 
छीन ले गई झटककर
बस कुछ ही समय पहले तो
जन्मदिवस की गोद से 
रंगीन सपनों -सी मोमबत्तियाँ बुझ गईं
जलने से पहले ही
पथरायी माँ का अनमोल उपहार मुँह बाए
बैठा रहा प्रतीक्षारत

इस बार भी वही जीती थी
एक क्या
तीन सौ से अधिक अशोक चक्र कुर्बान हो जाएंगे
वो दहशत में मरकर पुन: जी उठी 
देशी और फिरंगी ज़िन्दगियाँ
जहाँ भी होंगी फलती - फूलती
अपने स्मरण -पुष्पों की बरसात कर जाएंगी

मम्मी -पापा की दुलारियाँ होना
बड़ी बात नहीं
'नीरजा' होना बड़ी बात है
दहेज के ताने सुनना अच्छी बात नहीं
हैवान परंपराओं को घूँसे जड़ना
अच्छी बात है 
डर से डरकर चूहे के बिल में छुप जाना 
सच्ची बात नहीं
उसे गिरफ़्तार करना सच्ची बात है
पर  शायद यह वही समझ सकती थी न
जिसकी ज़ान भी अपनी न थी !
-सरिता स्निग्ध ज्योत्स्ना
                      7/09/16


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बड़े घर की लड़की

बड़े घर की लड़की  अब वह भी खेल सकती है भाई के सुंदर खिलौनों से  अब वह भी पढ़ सकती है भाई के संग महंगे स्कूल में  अब वह भी खुलकर हँस सकती है लड़कों की तरह  वह देखने जा सकती है दोस्तों के संग सिनेमा  वह जा सकती है अब काॅलेज के पिकनिक टुअर पर  वह रह सकती है दूर किसी महानगरीय हाॅस्टल में  वह धड़ल्ले इस्तेमाल कर सकती है फेसबुक, ह्वाट्सएप और ट्विटर  वह मस्ती में गा  और नाच सकती है फैमिली पार्टी में  वह पहन सकती है स्कर्ट ,जीन्स और टाॅप वह माँ - बाप से दोस्तों की तरह कर सकती है बातें  वह देख सकती है अनंत आसमान में उड़ने के ख़्वाब  इतनी सारी आज़ादियाँ तो हैं बड़े घर की लड़की  को  बस जीवनसाथी चुनने का अधिकार तो रहने दो  इज़्ज़त-प्रतिष्ठा धूमिल हो जाएगी ऊँचे खानदान की  वैसे सब जानते हैं कि साँस लेने की तरह ही  लिखा है स्वेच्छा से विवाह का अधिकार भी  मानवाधिकार के सबसे बड़े दस्तावेज में ! ---------------------------------------------------

मातृभाषा दिवस आउर भोजपुरी

ढाका स्थित शहीद मीनार तस्वीरें गूगल से साभार  विश्व मातृभाषा दिवस की ढेरों बधाइयाँ ....... ------------------------ हमार मातृभाषा भोजपुरी रहल बा .....एहि से आज हम भोजपुरी में लिखे के कोशिश करतानी । मातृभाषा आ माई के महत्व हमार ज़िंदगी में सबसे जादे होखेला..... हम कहीं चल जाईं ......माई आ माई द्वारा सिखावल भाषा कभी न भूलाइल जाला...... हमार सोचे समझे के शक्ति हमार मातृभाषे में निहित हो जाला.....  हम बचपने से घर में भोजपुरी बोलेनी ....लेकिन लिखेके कभी मौका ना मिलल.....हम दोसर भाषा वाला लोगन से छमा मांगतानी ....लेकिन भोजपुरी भी देवनागरी लिपि में लिखल जाला ....एहि से आस बा कि जे हिंदीभाषी होई ओकरा समझे बूझे में दिक्कत ना होई. आज 21 फरवरी हs .....विश्व मातृभाषा दिवस..... हमनी के कृतज्ञ होके के चाहीं 1952 के पूर्वी पाकिस्तान आ ए घड़ी के बांग्लादेश के उ शहीद आ क्रांतिकारी नौजवानन के .....जिनकर भाषाइ अस्मिता के बदौलत आज इ दिवस संसार भर में मनावल जाता..... बांग्ला भाषा खाति शुरू भइल इ आंदोलन अब 1999 से विश्व भर में सांस्कृतिक विविधता आउर बहुभाषिता खाति मनावल जाला....अभियो भारत के

कथनी -करनी

दिल्ली हिन्दी अकादमी की पत्रिका 'इंद्रप्रस्थ भारती' के मई अंक में प्रकाशित मेरी कविता  :"कथनी -करनी "