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मलाला और बाबा

मलाला और बाबा

ओ मलाला 

ये तुमने क्या किया

कि आज तक उन्हें ख़बर ही नहीं 

इतने तेज चैनलों के होने के बावजूद 

कि तुमने कौन सा तीर मार दिया 

टेडी बियर से खेलने की उम्र में

यूं ही तुम्हारी झोली में आ गिरा 

दुनिया का सबसे बड़ा तमगा 


वे सिखलाते हैं लोगों को जीना पर 

इत्ती सी बात का पता नहीं 

कि लड़कियों का जीना कितना मुश्किल होता  है 

अपने जन्म से पहले भी और 

जन्म के बाद  

सांसों के रूक जाने तक  


उन्हें यह भी पता नहीं  

कि अपने ही देश में हुआ था एक अधनंगा फ़कीर

 (हालांकि उसने  कभी तमगा पाने का लोभ ही नहीं किया )

जिसने नारी शिक्षा को बताया था 

पूरे परिवार , समाज और देश के लिए ज़रूरी  


उफ.... उन्हें  यह भी पता नहीं 

कि  लड़कियाँ भी बनी होती हैं हाड़-मांस  की  

पढ़ाई की ललक उनमें भी वैसी ही होती है जैसे लड़कों की 

कैसे सहा होगा तुमने  

अपने स्कूलों को तोड़े जाने का ग़म  

 बाहर की दुनिया से छूटकर चाहरदीवारी  के भीतर रात -दिन का  तम  

तालिबानी फ़रमानों के बीच पल -पल घुटता दम 

कहाँ से आ गए दुनिया भर से दुआओं के लिए उठे वे हाथ 

छलनी होकर गोलियों से जब फिर से हुआ तुम्हारा जन्म  

वे नहीं जानते 

कि मुँह बंद किए जाने पर लड़कियाँ 

ज़्यादा अनुभवी हो जाती हैं  

और फिर किसी महान कार्य के लिए उम्र  नहीं होती मुहताज  


ओ सोलह साल * की लड़की 

जो बोलते हैं उन्हें बोलने दो 

उन्हें अभी सीखना बाक़ी है जीना 

ताकि अपनी भड़ासों पर नियंत्रण हो सके

प्रभु उन्हें माफ़ कर देगा 

तुम भी कर दो  

कम से कम  

दुनिया भर की लड़कियों को पता है 

कि तुमने ऐसा क्या कर दिया है  

बस इतना ही काफ़ी है जानना तुम्हें

हाँ,  अपना सफ़र जारी रखो 

बेखौफ़ होकर  

खौफ़ से भरी दुनिया में  ! 

××××××××××××× 

-सरिता स्निग्ध ज्योत्स्ना    


 * मलाला युसुफ़ज़ई का जन्म  12 जुलाई ,1997 को हुआ था ।इस तरह नोबल पुरस्कार पाने के समय (10 दिसंबर 2014 )उसकी उम्र  सत्रह साल थी ।




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