ज़द्दोज़हद
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आह बरसाती रात
किसी के लिए मधुमास
भींगने और पुलकित होने का वरदान
चाँद की लुकाछिपी में
असीमित भावनाओं का ज्वार !
उफ्फ बरसाती रात
कहीं जीवन हेतु संघर्ष अविराम
नदियों का राक्षसी उफान
और डूबा हुआ सारा घर-बार
सड़क पर सिमटाए अपना जहान
खाट- मचान पर शरण लिए इंसान
नीचे साँप की फुफकार
नीम हक़ीम डॉक्टरों के लिए आई बहार !
उफ्फ बरसाती रात
वही पापी पेट का सवाल
आई तो थी दिन में उड़नखटोले से
राहत सामग्री आज
कल फिर आए भी तो क्या
टूट पड़ेंगे और लूटेंगे बलशाली हाथ
जो जीतेंगे हमेशा की तरह सिकंदर कहलाएंगे
बहाएगी फिर से सपने चंगेज़ी धार !
उफ्फ बरसाती रात
झींगुरों का अलबेला सिंहनाद
बड़े बन गए हैं बेजुबान
बच्चे भी समझ ही जाते हैं
पर जनमतुए कहाँ मानते हैं
रह रहकर दूध के लिए अकुलाते हैं
माँ की सूखी छातियों की टोह लेकर झल्लाते
मचा रहे व्यर्थ ही शायद हाहाकार !
ओह बरसाती रात रोते रोते लिपट जाएंगे
रात के चिथड़ेदार आँचल में
नहीं बची माँ के बेबस होठों पर
सुंदर लोरियों की सौगात
माएं आँसू पी जी ही लेंगी
व्रतों की आदत काम आएगी
पर सोच रही निष्ठुर बनकर
बचेंगे गोदी के लाल अगर
तो देखेंगे हर साल
ऐसी कई भयानक बरसाती रातें
आएगा लीलने अजगरी सैलाब
झाँकेंगे हर बार
ऊँचे आसमानी खिड़कियों से
सफेद शहंशाह !
-सरिता स्निग्ध ज्योत्स्ना
*तस्वीर फेसबुक से साभार
किसी के लिए मधुमास
भींगने और पुलकित होने का वरदान
चाँद की लुकाछिपी में
असीमित भावनाओं का ज्वार !
उफ्फ बरसाती रात
कहीं जीवन हेतु संघर्ष अविराम
नदियों का राक्षसी उफान
और डूबा हुआ सारा घर-बार
सड़क पर सिमटाए अपना जहान
खाट- मचान पर शरण लिए इंसान
नीचे साँप की फुफकार
नीम हक़ीम डॉक्टरों के लिए आई बहार !
उफ्फ बरसाती रात
वही पापी पेट का सवाल
आई तो थी दिन में उड़नखटोले से
राहत सामग्री आज
कल फिर आए भी तो क्या
टूट पड़ेंगे और लूटेंगे बलशाली हाथ
जो जीतेंगे हमेशा की तरह सिकंदर कहलाएंगे
बहाएगी फिर से सपने चंगेज़ी धार !
उफ्फ बरसाती रात
झींगुरों का अलबेला सिंहनाद
बड़े बन गए हैं बेजुबान
बच्चे भी समझ ही जाते हैं
पर जनमतुए कहाँ मानते हैं
रह रहकर दूध के लिए अकुलाते हैं
माँ की सूखी छातियों की टोह लेकर झल्लाते
मचा रहे व्यर्थ ही शायद हाहाकार !
ओह बरसाती रात रोते रोते लिपट जाएंगे
रात के चिथड़ेदार आँचल में
नहीं बची माँ के बेबस होठों पर
सुंदर लोरियों की सौगात
माएं आँसू पी जी ही लेंगी
व्रतों की आदत काम आएगी
पर सोच रही निष्ठुर बनकर
बचेंगे गोदी के लाल अगर
तो देखेंगे हर साल
ऐसी कई भयानक बरसाती रातें
आएगा लीलने अजगरी सैलाब
झाँकेंगे हर बार
ऊँचे आसमानी खिड़कियों से
सफेद शहंशाह !
-सरिता स्निग्ध ज्योत्स्ना
*तस्वीर फेसबुक से साभार
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