सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

जड़ हवाओं के खिलाफ

जड़ हवाओं के खिलाफ 

●●●●●●●●●●●●●●●●●●


 हाँ  

बहुत लंबा सफ़र 

तय कर लिया हमने 

कभी चलना भी दूभर था 

दो क़दम 

ऊँची कँटीली चाहरदीवारी के बाहर 

सपनों में हँस - बोल बतिया लेती  थीं

रात के भुतहा अंधेरे में 

दबे अरमानों से  


दिन के सुनहले उजालों में  

आँगन के ऊपर छोटे आकाश में 

कुछ उड़ती चिड़ियों की झलक मिल जाती थी 

और हमारी हसरतें टटोलने लगती थीं 

अपने दोनों कंधों पर पंखों के उभार  


अब चाहरदीवारियों में 

एक चोर -दरवाज़ा लग गया है हमारे लिए

वहाँ से निकलकर 

कुछ दूर  चहलकदमी करने की मौन इजाज़त है  

पर मौका मिलते ही दौड़ भी लिया करती हैं हम 

आकाश भी बहुत विस्तृत हो चला है 

हमारे अनन्त सपनों के साथ 

अब चिड़ियों से रेस लगाने को जी चाहता है 

हमारे सतरंगी पंख तैयार हैं उल्टी गिनती के साथ  


ये अलग बात है 

कि अब भी हमारे पसीने की कीमत है 

पेशेवर धावकों से कम 

और हर मोड़ पर तैनात हैं तालिबानी लठैत 

झबरीली मूँछों पर देते ताव 

ऐसे में ज़रूरी है 

हमारे असंख्य पंखों का जुड़ाव 

हाँ निहायत ज़रूरी है 

उड़ान  

जड़ हवाओं के खिलाफ ! 

-सरिता स्निग्ध ज्योत्स्ना 
8 मार्च, 2017 
'इस जनम की बिटिया' की ओर से सभी मित्रों को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं ।इस ब्लॉग का उद्देश्य ही महिला सशक्तिकरण है ,अतएव अपनी प्रतिक्रियाओं एवं सलाहों से हमें अवगत कराते रहें ।धन्यवाद 
                            नमस्कार  । 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बड़े घर की लड़की

बड़े घर की लड़की  अब वह भी खेल सकती है भाई के सुंदर खिलौनों से  अब वह भी पढ़ सकती है भाई के संग महंगे स्कूल में  अब वह भी खुलकर हँस सकती है लड़कों की तरह  वह देखने जा सकती है दोस्तों के संग सिनेमा  वह जा सकती है अब काॅलेज के पिकनिक टुअर पर  वह रह सकती है दूर किसी महानगरीय हाॅस्टल में  वह धड़ल्ले इस्तेमाल कर सकती है फेसबुक, ह्वाट्सएप और ट्विटर  वह मस्ती में गा  और नाच सकती है फैमिली पार्टी में  वह पहन सकती है स्कर्ट ,जीन्स और टाॅप वह माँ - बाप से दोस्तों की तरह कर सकती है बातें  वह देख सकती है अनंत आसमान में उड़ने के ख़्वाब  इतनी सारी आज़ादियाँ तो हैं बड़े घर की लड़की  को  बस जीवनसाथी चुनने का अधिकार तो रहने दो  इज़्ज़त-प्रतिष्ठा धूमिल हो जाएगी ऊँचे खानदान की  वैसे सब जानते हैं कि साँस लेने की तरह ही  लिखा है स्वेच्छा से विवाह का अधिकार भी  मानवाधिकार के सबसे बड़े दस्तावेज में ! ---------------------------------------------------

मातृभाषा दिवस आउर भोजपुरी

ढाका स्थित शहीद मीनार तस्वीरें गूगल से साभार  विश्व मातृभाषा दिवस की ढेरों बधाइयाँ ....... ------------------------ हमार मातृभाषा भोजपुरी रहल बा .....एहि से आज हम भोजपुरी में लिखे के कोशिश करतानी । मातृभाषा आ माई के महत्व हमार ज़िंदगी में सबसे जादे होखेला..... हम कहीं चल जाईं ......माई आ माई द्वारा सिखावल भाषा कभी न भूलाइल जाला...... हमार सोचे समझे के शक्ति हमार मातृभाषे में निहित हो जाला.....  हम बचपने से घर में भोजपुरी बोलेनी ....लेकिन लिखेके कभी मौका ना मिलल.....हम दोसर भाषा वाला लोगन से छमा मांगतानी ....लेकिन भोजपुरी भी देवनागरी लिपि में लिखल जाला ....एहि से आस बा कि जे हिंदीभाषी होई ओकरा समझे बूझे में दिक्कत ना होई. आज 21 फरवरी हs .....विश्व मातृभाषा दिवस..... हमनी के कृतज्ञ होके के चाहीं 1952 के पूर्वी पाकिस्तान आ ए घड़ी के बांग्लादेश के उ शहीद आ क्रांतिकारी नौजवानन के .....जिनकर भाषाइ अस्मिता के बदौलत आज इ दिवस संसार भर में मनावल जाता..... बांग्ला भाषा खाति शुरू भइल इ आंदोलन अब 1999 से विश्व भर में सांस्कृतिक विविधता आउर बहुभाषिता खाति मनावल जाला....अभियो भारत के

कथनी -करनी

दिल्ली हिन्दी अकादमी की पत्रिका 'इंद्रप्रस्थ भारती' के मई अंक में प्रकाशित मेरी कविता  :"कथनी -करनी "