प्रार्थना नए साल पर
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काश ऐसा हो भगवान , घर आए इस नए साल में
भूखों को निवाला मिले, सुबह-शाम यहाँ हर हाल में
सुबह को निकले परिंदे ,सुरक्षित शाम को नीड़ लौटें
बेटियों के चेहरे पर भी, सुबह -सी रौनक संग लौटे
किसी भी शहर में ग़रीब कोई, फुटपाथ पर न सोए
किसी सिरफिरे की गाड़ी, कीड़े-मकोड़ों को न रौंदे
कोख में किसी कन्या की, अनसुनी चीख न निकले
घर और अस्पताल के, कसाइयों का यूं दिल पिघले
लड़का और लड़की अब, सचमुच बराबरी में ही पले
दहेज की आग में फिर से, किसी घर की लक्ष्मी न जले
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