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एक और इंदिरा. ......

एक और इंदिरा........

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19 नवंबर 2012.....बिहार के प्रसिद्ध छठ पर्व के सायंकालीन पहले अरग का दिन.....ऑपरेशन थियेटर में ऑपरेशन से पूर्व इसकी तैयारी करने वाले स्टाफ.....जच्चा का उत्साह वर्धन कर रहे थे....अपने काम के साथ साथ. ...'अच्छा आप रेडियो में काम करते हो'......आर जे हो ?.....नहीं ,न्यूज रीडर हूँ. ...ओके, कभी हमें भी ले चलिए.....ये दूसरा बेबी है ? हाँ....पहले से गर्ल चाइल्ड है? हाँ.........आज आपके यहाँ का पर्व है न ? देखना आपको बेटा होगा......और उसने बिना कुछ कहे मुस्कुरा दिया हल्के से।

                हल्की सी चेतना के बीच.... ऑपरेशन सक्सेस होने की सूचना मिली.....पर एक अजीब सा सन्नाटा पसर गया.....बात क्या है......किसी ने मुझे औपचारिक सूचना नहीं दी....बेबी स्वस्थ तो है न....उसी हालत में मुझे तरह तरह की आशंका होने लगी...पर पूछा नहीं पा रही थी पीठ के बल लेटे हुए.....शरीर के साथ होठ भी असमर्थ हो गये थे शायद....कुछ देर बाद सन्नाटे का रहस्य आखिर खुल ही गया.....सामने मेरी आँखों के ....एक छुई मुई सी  नई रचना ....नर्स के हाथों में पड़ी थी...फिर आवाज़ आई ...बधाई. ..बेटी हुई है.....

           कुछ देर में यह ख़बर अपनों तक पहुँच गई.....बच्ची के नाना की प्रतिक्रिया थी.....एक और इंदिरा आ गईं हैं...वो भी हमारे घर....पति से बात करते हुए मैं भी एक सामान्य भारतीय महिला बन गई थी. ..कुछ पलों के लिए. .. मैंने भारी स्वर में कहा, बेटा नहीं हुआ.....पति महोदय ने  यही कहा, इंदिरा बेटा से कम है क्या......फिर कुछ देर बाद उस नन्ही इंदिरा को अमृत पान कराते हुए....जो प्रत्यक्ष रिश्ता इस बाहर की दुनिया में पहली बार बना....उसमें आज तक कभी महसूस नहीं हुआ...कि अगर बेटा होता तो माँ और संतान  के बीच का यह सर्वोपरि रिश्ता कुछ अलग होता. ....

       हाँ, यह मेरी दूसरी बिटिया बहुत सी खुशियाँ लेकर आई....हमारी जिंदगी में एक निर्णायक मोड़ आया, शायद इसलिए इसके पिता ने .....मेरी सहमति से इसका पुकारू नाम रखा-"खुशी"....वही खुशी आज चार बरस की हो रही है. ..जिसे दुनिया में आने से पहले अपनी  कुछ जटिलताओं के कारण. ...बचाना मेरे लिए चुनौती थी...उसकी सांसों को ज़िंदा रखने के लिए. ... मैंने कई पीड़ादायक  र्हॉर्मोन्स के इंजेक्शन लगवाए....हर हफ्ते दो हफ्ते पर.....हाँ, वही खुशी जिसके होने से पहले उसके लिंग की जाँच के लिए दिल्ली के मेरे अस्थायी पड़ोसियों ने डाॅक्टरों के नाम पते बताने की भी पेशकश की थी.....और हमारे न कहने पर हमें पागल समझ लिया था।

      आज अपने निर्णय पर गर्व होता है ... और आधुनिकता का बोध भी....दोनों बेटियों की मीठी बोलियों से घर परिवार गुलज़ार रहता है......खुशी के जन्मदिन पर उसके लिए हमारी अनगिनत शुभकामनाएं ! जब सारा देश अपनी दो वीरांगना बेटियों इंदिरा और लक्ष्मीबाई की जयन्ती मनाता है, हम भी उन्हें याद करते हुए अपनी इस बिटिया को शुभाशीष  देंगे कि वह उन जैसी ही सशक्त नारी के रूप में आगे बढती रहे.....एक इंसान बने......औरों के काम आए...देश की शान बने कभी 

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