ये वायदे सिन्दूरी हैं
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पता नहीं
आसमान से बिखरकर
मेरे माथे पर सज आया
या मेरे माथे से छिटककर
आसमान को सँवार गया
पर कोई सिन्दूरी शाम यूं निखर आई
किसी नई नवेली दुल्हन के चेहरे पर ज्यों
हल्दी की बरकरार हो चमक
आँसुओं की बारिश से कई बार
मायके की चुहलबाज और ग़मगीन स्मृतियाँ
धुल कर ताज़ी हो जाने के बाद भी
जानती हूँ कि तन्हा शाम
होती है गिद्ध
अगर तुम रहो आज की तरह
हर शाम ताउम्र मेरे साथ
गिद्ध वापस लौट जाएंगे उदास
चलते रह जाएंगे काले बादल
अपनी ढेरों असफल चाल
मैं बन जाऊंगी
यह सिन्दूरी आसमान
और तुम
मेरे माथे की अमिट पहचान !
-सरिता स्निग्ध ज्योत्स्ना
21/06/2016
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पता नहीं
आसमान से बिखरकर
मेरे माथे पर सज आया
या मेरे माथे से छिटककर
आसमान को सँवार गया
पर कोई सिन्दूरी शाम यूं निखर आई
किसी नई नवेली दुल्हन के चेहरे पर ज्यों
हल्दी की बरकरार हो चमक
आँसुओं की बारिश से कई बार
मायके की चुहलबाज और ग़मगीन स्मृतियाँ
धुल कर ताज़ी हो जाने के बाद भी
जानती हूँ कि तन्हा शाम
होती है गिद्ध
अगर तुम रहो आज की तरह
हर शाम ताउम्र मेरे साथ
गिद्ध वापस लौट जाएंगे उदास
चलते रह जाएंगे काले बादल
अपनी ढेरों असफल चाल
मैं बन जाऊंगी
यह सिन्दूरी आसमान
और तुम
मेरे माथे की अमिट पहचान !
-सरिता स्निग्ध ज्योत्स्ना
21/06/2016
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