सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

ज़िंदा रहेंगी कलियाँ


ज़िंदा रहेंगी कलियाँ
---------------------------------------------
अब कलियाँ मुस्कुराती नहीं खुलकर

डर है

उनकी मुस्कुराहट देखकर

आने वाले भौंरे

बता देंगे उनका पता

दुश्मनों को


दुश्मन देख रहे

मोबाइल और इंटरनेट की काली छवियां

सीख रहे नन्हीं कलियों का भी दमन

बनकर कुत्सित दरिंदे 

निकलते गलियों में

पहले ललचाएंगे-फुसलाएंगे छुपकर

फिर तोड़ेंगे-मरोड़ेंगे सरेआम

आंसुओं से गीली पंखुड़ियाँ बेज़ान

बिखरी होंगी मुरझाई सरेराह


मातम मनाएगा

हमेशा की तरह 

बाग का बूढ़ा माली

हाथ पर हाथ धरे रह जाएगा

फफक फफक कर रोएगा

अपनी किस्मत पर

डाल पर बैठी इंतज़ार करती

कोयल का गला रुंध जाएगा

सियासत सेकेंगी रोटियाँ गर्म तवे पर

स्वयंसेवी देवियाँ धरने-प्रदर्शन की फोटो  खिचवाएंगी

टूटी हुई कलियाँ ज़िंदा रहेंगी फिर भी

बहुत गा लिया शोकगीत अपनी  असंख्य मौतों का

लड़ेंगी  अपनी सांसों की ख़ातिर

कई 'निर्भयाएं'

पहनाएंगी दुश्मन के गले में 

मृत्युदंड का हार

बस मिल जाए अगर सभी बागों का साथ

समय क्रांति का है

तो क्रांति करो न

पर पहले थोड़ी सी सोच भी बदलो

हाँ,  गंगा मैली नहीं होती

कलियाँ खिल सकती हैं फिर से

उन्हें गंगा की तरह बहने दो

ढूंढ लेंगी राहें अपनी लहरें

बस निर्मल छांव में पलने दो
---------------------------------------------------------
सरिता स्निग्ध ज्योत्स्ना
16 दिसंबर, 2015



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बड़े घर की लड़की

बड़े घर की लड़की  अब वह भी खेल सकती है भाई के सुंदर खिलौनों से  अब वह भी पढ़ सकती है भाई के संग महंगे स्कूल में  अब वह भी खुलकर हँस सकती है लड़कों की तरह  वह देखने जा सकती है दोस्तों के संग सिनेमा  वह जा सकती है अब काॅलेज के पिकनिक टुअर पर  वह रह सकती है दूर किसी महानगरीय हाॅस्टल में  वह धड़ल्ले इस्तेमाल कर सकती है फेसबुक, ह्वाट्सएप और ट्विटर  वह मस्ती में गा  और नाच सकती है फैमिली पार्टी में  वह पहन सकती है स्कर्ट ,जीन्स और टाॅप वह माँ - बाप से दोस्तों की तरह कर सकती है बातें  वह देख सकती है अनंत आसमान में उड़ने के ख़्वाब  इतनी सारी आज़ादियाँ तो हैं बड़े घर की लड़की  को  बस जीवनसाथी चुनने का अधिकार तो रहने दो  इज़्ज़त-प्रतिष्ठा धूमिल हो जाएगी ऊँचे खानदान की  वैसे सब जानते हैं कि साँस लेने की तरह ही  लिखा है स्वेच्छा से विवाह का अधिकार भी  मानवाधिकार के सबसे बड़े दस्तावेज में ! ---------------------------------------------------

मातृभाषा दिवस आउर भोजपुरी

ढाका स्थित शहीद मीनार तस्वीरें गूगल से साभार  विश्व मातृभाषा दिवस की ढेरों बधाइयाँ ....... ------------------------ हमार मातृभाषा भोजपुरी रहल बा .....एहि से आज हम भोजपुरी में लिखे के कोशिश करतानी । मातृभाषा आ माई के महत्व हमार ज़िंदगी में सबसे जादे होखेला..... हम कहीं चल जाईं ......माई आ माई द्वारा सिखावल भाषा कभी न भूलाइल जाला...... हमार सोचे समझे के शक्ति हमार मातृभाषे में निहित हो जाला.....  हम बचपने से घर में भोजपुरी बोलेनी ....लेकिन लिखेके कभी मौका ना मिलल.....हम दोसर भाषा वाला लोगन से छमा मांगतानी ....लेकिन भोजपुरी भी देवनागरी लिपि में लिखल जाला ....एहि से आस बा कि जे हिंदीभाषी होई ओकरा समझे बूझे में दिक्कत ना होई. आज 21 फरवरी हs .....विश्व मातृभाषा दिवस..... हमनी के कृतज्ञ होके के चाहीं 1952 के पूर्वी पाकिस्तान आ ए घड़ी के बांग्लादेश के उ शहीद आ क्रांतिकारी नौजवानन के .....जिनकर भाषाइ अस्मिता के बदौलत आज इ दिवस संसार भर में मनावल जाता..... बांग्ला भाषा खाति शुरू भइल इ आंदोलन अब 1999 से विश्व भर में सांस्कृतिक विविधता आउर बहुभाषिता खाति मनावल जाला....अभियो भारत के

कथनी -करनी

दिल्ली हिन्दी अकादमी की पत्रिका 'इंद्रप्रस्थ भारती' के मई अंक में प्रकाशित मेरी कविता  :"कथनी -करनी "