सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मौन क्यों हैं पापा

मौन क्यों हैं पापा


कल ही की तो बात है पापा
जब रेडियो पर सुन रहे थे
आप 'सेल्फ़ी विद डॉटर्स ' की बात
मेरी प्यारी सी मम्मा के साथ
मैं भी तो सुन रही थी
और सुनकर मीठे सपने देखने लगी थी 
कि जब मैं बाहर की दुनिया में आ जाऊंगी
आप पहनाएंगे मुझे
तितलियों वाला बूटेदार फ्राॅक
और मुझे कहते हुए
'स्माइल प्लीज़ माइ डॉटर'
एक शानदार सेल्फ़ी खीचेंगे
इन्हीं ख़यालों में डूबी
मैं इतराने लगी थी
अंधेरे से उजाले की ओर
टुकुर - टुकुर ताकने लगी थी

पता नहीं फिर क्या हुआ
कल रात अचानक
आप ज़ोर-ज़ोर से से चिल्ला रहे थे
और मम्मा रोने लगी थी 
सुबह होने तक 
होती रही बरसात
 उनके ज़ल्दी ज़ल्दी करवटें बदलने से
मैं भी जागती रही पूरी रात


कल ही की तो बात है पापा
मैं सपने बुन रही थी
और आज डरने लगी हूँ
यह जगह अपना छोटा -सा घर तो नहीं लगता
कैंची और चाकू क्यों
मम्मा की चूड़ियों के साथ
खनखना रहे हैं 
आ रही हैं कैसी दवाओं की  ये गंध

अरे देखिए न पापा
दस्ताने पहने हाथ 
मेरे आश्रय की तरफ़ बढ़ रहे हैं तेजी से
जहाँ और कई महीने
रहना था मम्मा के साथ
अभी कुछ हफ्ते पहले ही तो
डॉक्टर आंटी ने मम्मा को
सावधानी बरतने 
और खूब खाने - पीने की
दी थी सलाह
उस दिन बड़े प्यार से
आपने भी तो सहलाया था मुझे
उसी दिन जाना था पहली बार
पिता का दुलार

जैसे सब कुछ कल ही की तो बात है
फिर क्यों आज मौन हैं पापा
क्या अल्ट्रासाउंड वाली फोटो में
मैं अच्छी नहीं  दिखती  हूँ 
रोक लीजिए न इन औज़ारों को
वायदा करती हूँ
कभी आप सबको तंग नहीं करूँगी
खूब पढूंगी-लिखूंगी
और कुछ बड़ा बन
आपका नाम रोशन करूंगी

पापा प्लीज़. .......
मैं ज़िंदा रहना चाहती हूँ
प्लीज़ प्लीज़ प्लीज़

कचाक् !

ओह पापा
गुडबाय पापा ! 
-----------------------------------------------
-सरिता स्निग्ध ज्योत्स्ना
4 जुलाई 2015


*तस्वीर नेट से साभार 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बड़े घर की लड़की

बड़े घर की लड़की  अब वह भी खेल सकती है भाई के सुंदर खिलौनों से  अब वह भी पढ़ सकती है भाई के संग महंगे स्कूल में  अब वह भी खुलकर हँस सकती है लड़कों की तरह  वह देखने जा सकती है दोस्तों के संग सिनेमा  वह जा सकती है अब काॅलेज के पिकनिक टुअर पर  वह रह सकती है दूर किसी महानगरीय हाॅस्टल में  वह धड़ल्ले इस्तेमाल कर सकती है फेसबुक, ह्वाट्सएप और ट्विटर  वह मस्ती में गा  और नाच सकती है फैमिली पार्टी में  वह पहन सकती है स्कर्ट ,जीन्स और टाॅप वह माँ - बाप से दोस्तों की तरह कर सकती है बातें  वह देख सकती है अनंत आसमान में उड़ने के ख़्वाब  इतनी सारी आज़ादियाँ तो हैं बड़े घर की लड़की  को  बस जीवनसाथी चुनने का अधिकार तो रहने दो  इज़्ज़त-प्रतिष्ठा धूमिल हो जाएगी ऊँचे खानदान की  वैसे सब जानते हैं कि साँस लेने की तरह ही  लिखा है स्वेच्छा से विवाह का अधिकार भी  मानवाधिकार के सबसे बड़े दस्तावेज में ! ---------------------------------------------------

मातृभाषा दिवस आउर भोजपुरी

ढाका स्थित शहीद मीनार तस्वीरें गूगल से साभार  विश्व मातृभाषा दिवस की ढेरों बधाइयाँ ....... ------------------------ हमार मातृभाषा भोजपुरी रहल बा .....एहि से आज हम भोजपुरी में लिखे के कोशिश करतानी । मातृभाषा आ माई के महत्व हमार ज़िंदगी में सबसे जादे होखेला..... हम कहीं चल जाईं ......माई आ माई द्वारा सिखावल भाषा कभी न भूलाइल जाला...... हमार सोचे समझे के शक्ति हमार मातृभाषे में निहित हो जाला.....  हम बचपने से घर में भोजपुरी बोलेनी ....लेकिन लिखेके कभी मौका ना मिलल.....हम दोसर भाषा वाला लोगन से छमा मांगतानी ....लेकिन भोजपुरी भी देवनागरी लिपि में लिखल जाला ....एहि से आस बा कि जे हिंदीभाषी होई ओकरा समझे बूझे में दिक्कत ना होई. आज 21 फरवरी हs .....विश्व मातृभाषा दिवस..... हमनी के कृतज्ञ होके के चाहीं 1952 के पूर्वी पाकिस्तान आ ए घड़ी के बांग्लादेश के उ शहीद आ क्रांतिकारी नौजवानन के .....जिनकर भाषाइ अस्मिता के बदौलत आज इ दिवस संसार भर में मनावल जाता..... बांग्ला भाषा खाति शुरू भइल इ आंदोलन अब 1999 से विश्व भर में सांस्कृतिक विविधता आउर बहुभाषिता खाति मनावल जाला....अभिय...

कथनी -करनी

दिल्ली हिन्दी अकादमी की पत्रिका 'इंद्रप्रस्थ भारती' के मई अंक में प्रकाशित मेरी कविता  :"कथनी -करनी "