सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

घर या मकड़जाल का एक परिचित किस्सा


घर या मकड़जाल का एक परिचित किस्सा
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

वो बना सकती है जंगल के वीराने में भी
सुंदर बोलता हुआ घर
इस कोने से या उस कोने से
आगे से या पीछे की तरफ़ से
जैसे भी देखोगे
उसका हुनर बोलेगा
खिड़कियों पर सजा होगा
उसकी पसंद का
गुलाबी या जामुनी फूलों वाला पर्दा
जिसे अपने ख़्वाबों में टाँकना
बचपन में ही वह सीख लेती है
घर की खिड़कियों से आती है
कभी बहुत शांत नदी से चलकर हवा
और उसके खुले बाल इतरा उठते हैं
तो कभी बंगाल के समंदर से उठा तूफ़ान
पर्दों को झकझोर के रख देता है
फिर भी वो खिड़कियाँ खुली रहती हैं हरदम
उन्हीं से तो आ जाता है  मिलने चाँद
आकाश के बहुत नर्म बिस्तर  से भी उठकर किसी रात

पर क्या करे
दिन में विद्रोही सूरज का तमतमाया लाल चेहरा भी
उसे उतना ही भाता है
वह गुनगुनाती है
कुछ गिनी -चुनी चाँदनी रातों में
कोई मधुर मिलन गीत
बाक़ी दिन गूंगी दीवारों पर
लाल स्याही से लिखती रहती है
ऐसे ख़ामोश गीत
जो अक्सर दफन हो जाते हैं
अनारकली की बेबसी के साथ
दीवारों की बंजर देह में

छोड़ो  तुम भी कहाँ भटक गये
मकड़ी हो या औरत
बनाती है प्रायः बहुत सुंदर घर
पर उसे समझने के लिए
निहायत ज़रूरी शर्त है
कि निगाहें सुंदर होनी चाहिए
तभी जान सकोगे सृष्टि की अनोखी कलाकारी
वरना  रंगीन ऐनकों वाले बहुतेरे लोग
कर दिया करते हैं साफ
हर रोज़ कहीं न कहीं कोई मकड़जाल !
-सरिता स्निग्ध ज्योत्स्ना
17/12/16

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बड़े घर की लड़की

बड़े घर की लड़की  अब वह भी खेल सकती है भाई के सुंदर खिलौनों से  अब वह भी पढ़ सकती है भाई के संग महंगे स्कूल में  अब वह भी खुलकर हँस सकती है लड़कों की तरह  वह देखने जा सकती है दोस्तों के संग सिनेमा  वह जा सकती है अब काॅलेज के पिकनिक टुअर पर  वह रह सकती है दूर किसी महानगरीय हाॅस्टल में  वह धड़ल्ले इस्तेमाल कर सकती है फेसबुक, ह्वाट्सएप और ट्विटर  वह मस्ती में गा  और नाच सकती है फैमिली पार्टी में  वह पहन सकती है स्कर्ट ,जीन्स और टाॅप वह माँ - बाप से दोस्तों की तरह कर सकती है बातें  वह देख सकती है अनंत आसमान में उड़ने के ख़्वाब  इतनी सारी आज़ादियाँ तो हैं बड़े घर की लड़की  को  बस जीवनसाथी चुनने का अधिकार तो रहने दो  इज़्ज़त-प्रतिष्ठा धूमिल हो जाएगी ऊँचे खानदान की  वैसे सब जानते हैं कि साँस लेने की तरह ही  लिखा है स्वेच्छा से विवाह का अधिकार भी  मानवाधिकार के सबसे बड़े दस्तावेज में ! ---------------------------------------------------

मातृभाषा दिवस आउर भोजपुरी

ढाका स्थित शहीद मीनार तस्वीरें गूगल से साभार  विश्व मातृभाषा दिवस की ढेरों बधाइयाँ ....... ------------------------ हमार मातृभाषा भोजपुरी रहल बा .....एहि से आज हम भोजपुरी में लिखे के कोशिश करतानी । मातृभाषा आ माई के महत्व हमार ज़िंदगी में सबसे जादे होखेला..... हम कहीं चल जाईं ......माई आ माई द्वारा सिखावल भाषा कभी न भूलाइल जाला...... हमार सोचे समझे के शक्ति हमार मातृभाषे में निहित हो जाला.....  हम बचपने से घर में भोजपुरी बोलेनी ....लेकिन लिखेके कभी मौका ना मिलल.....हम दोसर भाषा वाला लोगन से छमा मांगतानी ....लेकिन भोजपुरी भी देवनागरी लिपि में लिखल जाला ....एहि से आस बा कि जे हिंदीभाषी होई ओकरा समझे बूझे में दिक्कत ना होई. आज 21 फरवरी हs .....विश्व मातृभाषा दिवस..... हमनी के कृतज्ञ होके के चाहीं 1952 के पूर्वी पाकिस्तान आ ए घड़ी के बांग्लादेश के उ शहीद आ क्रांतिकारी नौजवानन के .....जिनकर भाषाइ अस्मिता के बदौलत आज इ दिवस संसार भर में मनावल जाता..... बांग्ला भाषा खाति शुरू भइल इ आंदोलन अब 1999 से विश्व भर में सांस्कृतिक विविधता आउर बहुभाषिता खाति मनावल जाला....अभियो भारत के

कथनी -करनी

दिल्ली हिन्दी अकादमी की पत्रिका 'इंद्रप्रस्थ भारती' के मई अंक में प्रकाशित मेरी कविता  :"कथनी -करनी "