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मई, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

लावारिस

लावारिस -------------------------- ओ मेरी माँ ! शुक्रिया कि मैं ज़िंदा हूँ तुमने शुरू के महीनों में ही नहीं मार फेंकवाए टुकड़े- टुकड़े कर के हो सकता है अल्ट्रासाउंड वाले डाॅक्टर अंकल ने मेरी जगह मेरे भाई के आने की पक्की खुशख़बरी सुनाई होगी जो होता मेरे पिता के वंश का वाहक और लाता भविष्य में दहेज की मोटी रकम जो भी हो उस डॉक्टर अंकल को भी थैंक्स जिन लोगों ने भी देखा साक्षात् और टीवी पर मुझे यही कहा - मैं अच्छे - भले घर की दिखती हूँ तो बताओ न माँ अच्छे घर में इतनी कमी होती है क्या मुझ नन्ही सी ज़ान के लिए नहीं थी दूध की कटोरी दिल का कोई कोना न सही घर का कोई कोना तो रहा होगा जहाँ लग सकता था मेरा भी पालना सीख ही लेती अभावों में रहकर तुम्हारी तरह अपने आँसुओं को भी थामना जो भी हो माँ मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं तुम्हारी भी तो रही होगी कोई बहुत बड़ी मज़बूरी तुम्हारे मना करने पर भी मंडराए होंगे बन के चक्रवात तुम्हारे अपने ही बहुत ख़ास वरना किसकी मजाल जो तुम्हें अपने ही अंश को यूं त्यागना पड़ा हो अपने कलेजे पर पत्थर रखकर तपती सी धूप में इतनी बड़ी दु...

नीड़ उजड़ने के बाद

नीड़ उजड़ने के बाद  ********************************** माँएं रोती हैं, बड़बड़ाती हैं आवारा कुत्तों के रोने के बीच तोड़ती हैं रह रहकर दिन भर भोंपू बने शहरों की रात की भुतहा खामोशी और थक - हारकर कोस लेती है अपनी फूटी हुई किस्मत को माँओं को यक़ीन नहीं है उजड़ गया है नीड़ उनका बिखर गया है तिनका तिनका दरअसल आंधियों को इतनी जल्दी आना न था घर में नई किलकारियों का गूंजना बाकी था नन्ही कोमल उंगलियों से जीर्ण उँगलियों का जुड़ना बाकी था माँएं चाहती थीं बहुओं को सौंपें परंपरा की विरासत सभ्यता की सुनहली बड़ी कुंजी पर उन्हें क्या पता था आज़ादी का नया मतलब जहाँ कौशल्या भी कैकेयी समझी जाती है माँओं ने जोड़ रखा था बवंडरों के बीच भी सांझा चुल्हा साल - दर-साल रोटी की सोंधी महक ने बांध रखा था थोड़े से खटासों के बीच भी रिश्तों - नातों की मीठी डोर माँएं रचाते रचाते गुड़ियों का ब्याह खुद दुल्हन बना दी जाती थीं निरक्षर, चिट्ठी बाँचने लायक या हाई स्कूल पहुंची माँएं हो जाती थीं चट्टान थोड़ी सी आमदनी में ही कर लेती थीं नून - तेल का जुगाड़ रखती थीं बच्चों के चेहरे पर ...

मलाला और बाबा

मलाला और बाबा ओ मलाला  ये तुमने क्या किया कि आज तक उन्हें ख़बर ही नहीं  इतने तेज चैनलों के होने के बावजूद  कि तुमने कौन सा तीर मार दिया  टेडी बियर से खेलने की उम्र में यूं ही  तुम्हारी झोली में आ गिरा  दुनिया का सबसे बड़ा तमगा  वे सिखलाते हैं लोगों को जीना पर  इत्ती सी बात का पता नहीं  कि लड़कियों का जीना कितना मुश्किल होता  है  अपने जन्म से पहले भी और  जन्म के बाद   सांसों के रूक जाने तक   उन्हें यह भी पता नहीं   कि अपने ही देश में हुआ था एक अधनंगा फ़कीर  (हालांकि उसने  कभी तमगा पाने का लोभ ही नहीं किया ) जिसने नारी शिक्षा को बताया था  पूरे परिवार , समाज और देश के लिए ज़रूरी   उफ.... उन्हें  यह भी पता नहीं  कि  लड़कियाँ भी बनी होती हैं हाड़-मांस  की   पढ़ाई की ललक उनमें भी वैसी ही होती है जैसे लड़कों की  कैसे सहा होगा तुमने   अपने स्कूलों को तोड़े जाने का ग़म    बाहर की दुनिया से छूटकर चाह...