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मार्च, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बहुत ख़ूबसूरत मगर साँवली सी

ये हैं उल्का गुप्ता..... 'झाँसी की रानी 'टीवी सीरियल की लक्ष्मीबाई के बचपन के किरदार मनु को बखूबी निभाया था।इन दिनों ये काफ़ी चर्चा में हैं ।दरअसल ये अब 19 साल की हो गई हैं और बड़े पर्दे का रूख कर चुकी हैं ।ये छोटे पर्दे पर  मिले रंगभेद के कड़वे अनुभव  से त्रस्त हैं। ये फेयर स्किन की डिमांड से परेशान हो वहाँ ऑडिशन देने नहीं जाती हैं ।बिल्कुल , आजकल जो चमक दमक से भरपूर सीरियल बन रहे हैं ,उनमें साँवली लड़की भला कहाँ फिट बैठती है? तो बालीवुड भी कहाँ इनके लिए पलकें बिछाए बैठा है।तो अब स्वाभाविक रूप से रास्ता दक्षिण भारतीय फिल्मों की ओर ही जाता है न। इसलिए इन्होंने वही किया ।खैर अब अभिनय का शौक़ है, तो समझौता तो करना ही है।वह भी ऐसे देश में जो वर्षों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा।'ह्वाइट एंड डार्क' का डार्कनेस अब तक कायम है लोगों की गुलाम मानसिकता में ।क्या आपके और हमारे घर में कोई साँवली महिला /लड़की नहीं होती है ?फिर टीवी सीरियल के फैमिली ड्रामों में इनकी जगह क्यों नहीं बन पाती है ।क्या ऐसा कर वे समाज में ग़लत संदेश नहीं दे रहे हैं ?अब चलिए बालीवुड की बात करें ।हर को...

जड़ हवाओं के खिलाफ

जड़ हवाओं के खिलाफ  ●●●●●●●●●●●●●●●●●●  हाँ    बहुत लंबा सफ़र  तय कर लिया हमने  कभी चलना भी दूभर था  दो क़दम  ऊँची कँटीली चाहरदीवारी के बाहर  सपनों में हँस - बोल बतिया लेती  थीं रात के भुतहा अंधेरे में  दबे अरमानों से   दिन के सुनहले उजालों में   आँगन के ऊपर छोटे आकाश में  कुछ उड़ती चिड़ियों की झलक मिल जाती थी  और हमारी हसरतें टटोलने लगती थीं  अपने दोनों कंधों पर पंखों के उभार   अब चाहरदीवारियों में  एक चोर -दरवाज़ा लग गया है  हमारे लिए वहाँ से निकलकर  कुछ दूर  चहलकदमी करने की मौन इजाज़त है   पर मौका मिलते ही दौड़ भी लिया करती हैं हम  आकाश भी बहुत विस्तृत हो चला है  हमारे अनन्त सपनों के साथ  अब चिड़ियों से रेस लगाने को जी चाहता है  हमारे सतरंगी पंख तैयार हैं उल्टी गिनती के साथ   ये अलग बात है  कि अब भी हमारे पसीने की कीमत है  पेशेवर धावकों से कम  और हर मोड़ पर तैनात हैं ता...