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फ़रवरी, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

यह ज़िद्दी समय है

यह ज़िद्दी समय है  **************** मत काटो  नन्हीं  चिड़ियों के निकलते मुलायम पर  पिंजरे में ही वे बड़ा तूफ़ान ला देंगी  मत सुनाओ  तितलियों को  अनगिनत उपदेश विषपान  कर भी वे इंद्रधनुषी आसमां रच देंगी  मत बाँटो  स्त्रियों को  चरित्र प्रमाणपत्र  इस रद्दी का वे   मशाल बना लेंगी ! -सरिता स्निग्ध ज्योत्स्ना  *तस्वीर गूगल से साभार 

मातृभाषा दिवस आउर भोजपुरी

ढाका स्थित शहीद मीनार तस्वीरें गूगल से साभार  विश्व मातृभाषा दिवस की ढेरों बधाइयाँ ....... ------------------------ हमार मातृभाषा भोजपुरी रहल बा .....एहि से आज हम भोजपुरी में लिखे के कोशिश करतानी । मातृभाषा आ माई के महत्व हमार ज़िंदगी में सबसे जादे होखेला..... हम कहीं चल जाईं ......माई आ माई द्वारा सिखावल भाषा कभी न भूलाइल जाला...... हमार सोचे समझे के शक्ति हमार मातृभाषे में निहित हो जाला.....  हम बचपने से घर में भोजपुरी बोलेनी ....लेकिन लिखेके कभी मौका ना मिलल.....हम दोसर भाषा वाला लोगन से छमा मांगतानी ....लेकिन भोजपुरी भी देवनागरी लिपि में लिखल जाला ....एहि से आस बा कि जे हिंदीभाषी होई ओकरा समझे बूझे में दिक्कत ना होई. आज 21 फरवरी हs .....विश्व मातृभाषा दिवस..... हमनी के कृतज्ञ होके के चाहीं 1952 के पूर्वी पाकिस्तान आ ए घड़ी के बांग्लादेश के उ शहीद आ क्रांतिकारी नौजवानन के .....जिनकर भाषाइ अस्मिता के बदौलत आज इ दिवस संसार भर में मनावल जाता..... बांग्ला भाषा खाति शुरू भइल इ आंदोलन अब 1999 से विश्व भर में सांस्कृतिक विविधता आउर बहुभाषिता खाति मनावल जाला....अभिय...
तितलियाँ ..........रंग बिरंगी उन्मुक्त तितलियाँ .......बचपन से ही सबको लुभाती रही हैं  .... स्कूलों के बाग़ीचे में जब ...छोटे  बच्चे तितलियों के पीछे भागते हैं....तब उनकी मैडमें कहती हैं ....  तितली मत पकड़ो  वरना तुम्हारी शादी नहीं होगी ....हा  हा हा .... वैसे तितलियाँ पकड़ में जल्द आती कहाँ हैं ....तितलियाँ पकड़ना छूटा यानी बचपन छूटा ....और साथ ही वह उन्मुक्तता भी .....कंक्रीटों के जंगल में आदमी ही आदमी नज़र आते हैं ....तितलियों का दीदार कहाँ हो पाता है ....हाँ अगर मौसम सुहावना हो और थोड़ी-बहुत बागवानी का शौक़ हो ....तो अवश्य आती हैं मेहमान बनकर ये शहजादियाँ .....और फिर बचपन की भोली भाली गलियों में पहुँच जाता है दिल .....आज मोबाइल फोन की सुविधा है वो भी कैमरों के साथ ....बस कुछ अनोखा या प्रिय लगा ....कैद कर लो झट से ....मैं इन सर्दियों में एक दिन अख़बार पढ़ते हुए मीठी धूप का आनंद ले रही थी ....तभी मेरी नज़र पड़ी एक सफेद बूटेदार काली तितली पर ....वह बड़ी देर तक गमलों में लगे फूलों पर मंडराती हुई रसपान करती रही......  शायद इसकी वजह स्टीविया का मीठा रस रह...