सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अक्तूबर, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आधी आबादी का चुटकुला

              वे जो संवारती हैं कोई घर, उनका चुटकुला      **************************** "लड़ाकू होती हैं बीवियाँ पाकिस्तान की तरह  भारत जैसे सहनशील पति से जो हमेशा लड़ने को बेताब रहती हैं  " कुछ ऐसे ही चुटकुलों और महान शायरियों से सोशल मीडिया की दुनिया अपडेट रहती है   जिसमें पत्नी -निन्दा की नहीं होती है कोई  सीमारेखा  पुरूषों के ढेर सारे लाइक्स और वाहवाही के कमेंट्स से यह पटी रहती है  एक दिन ऐसी ही फूहड़ पत्नी -निन्दा से पड़ा मेरा भी वास्ता  जो ढेरों लाइक्स की गोद में बैठा झूम झूम इतरा रहा था  मुझसे यूं चुपचाप रहा न गया  आधुनिक सामंतों का दंभ सहा न गया  कुछ क्षणों बाद मेरे तरकश से भी एक तीर निकला  - "इस आभासी दुनिया में स्त्रियाँ भी मौज़ूद हैं   उनके दिल से न करें खूनखराबा चलिए उनकी न सही अपनी माँ बहनों की तो सोचिए  वे भी पत्नियाँ हैं किसी की   इसलिए सबका सामान्यीकरण  न कीजिए   माफ़ कीजिए  ज़माना मनुस्मृति से काफ़ी आगे...

मैग्नाकार्टा: बंद दरवाज़ों का

मैग्नाकार्टा :बंद दरवाज़ों का  ************************ एक दिन मिली उस लेखिका से  जिसकी एकमात्र बिटिया में ही  उसके जीवन की पूरी कृति शामिल थी  एक दिन मिली  उस वकील से  जिसकी दो बेटियों के नाम  लिखी हुई थी  उसकी ज़िन्दगी की पूरी वसीयत  एक दिन  उस अभिनेत्री से मिली  जिसने दो बेटियों के रंगमंच पर  छोड़ रखी थी  अपने नारीवादी अभिनय की अमिट छाप   कल एक डॉक्टर से मिली  जो अपनी नन्हीं बेटियों की तस्वीरें क्लिनिक में टांगे  दे रहा था नसीहतें मूर्ख भेड़ों को  आज मिली  एक अनपढ़ औरत से  जो कर रही थी  अपने पिता का अंतिम संस्कार  तमाम अमिट रिवाज़ों के बावजूद  कुल मिलाकर  उन औरतों और मर्दों से मैं मिलती जा रही हूँ अपने आसपास  जो गढ़ रहे हैं नई परिभाषाएं  हालांकि अब भी न्यूज चैनलों पर  दिखाए जा रहे हैं एक महानगर के  पुराने कुँएं में  मिली  दर्ज़नों  अजन्मी  बच्चियों की...