चिड़िया गुम मत होना *********************** हर मकान में एक खिड़की हो कम - से -कम खिड़की में खुला आसमान हो आसमान को कुछ ढँकता हुआ कोई बूढ़ा वृक्ष हो वृक्ष की झूलती मज़बूत डालियों पर उड़ने को तैयार कोई छोटी चिड़िया हो उसे एकटक निहारती खिड़की के अंदर एक और चिड़िया हो जिसके पंख निकले रहे हों अभी - अभी और सीख रही हो खट्टी -मीठी ज़िन्दगी का नमकीन ककहरा आँखों में तैर रहे हों कुछ सोंधे सपने वह जलपरी की हसीन वेशभूषा में भाग रही हो मोतियों की पुरानी खोज़ में और होठ गा रहे हों धीमे धीमे 'हम होंगे क़ामयाब एक दिन ' अभी उसका गीत ख़त्म नहीं हुआ हो तभी अचानक से झन्नाटेदार आवाज़ आए कोई 'अरे कहाँ मर गई ' और वह चल पड़ी हो उलटे पाँव इकलौते भाई के लिए हलवा बनाने जो अभी - अभी आया हो मोहल्ले का क्रिकेट खेलकर फिर भी रसोईघर से आ रही हो कलछी के संग अधूरे उड़ान - गीत का अगला अंतरा वह जानती है कि वृक्ष पर चिड़िया कल फिर आएगी फिर भी मनुहार करती है चिड़िया गुम मत होना तुम्हारे नाजुक पंखों पर मेरी मज़बूत कहानी लिखी है ! ...